चैत्र का महिना चल रह है इसी महीने के चैत्र नवरात्री में सभी मां की आराधना करके उन्हें प्रसन्न कर रहे है। नौ दिन महिलाएं व पुरुष अपनी-अपनी तरह से साधना करते है। कोई व्रत धारण करता है तो कोई अन्य तरीकों से माता रानी की पूजा अर्चना करता है। नवरात्री में नौ दिन ही माता की पूजा भक्ति की जाती है परन्तु अष्टमी तिथि (Durga Ashtami 2022) का अपना ही कुछ वैदिक महत्त्व है। वैसे इस वर्ष नवरात्रि पुरे नौ दिवस के है कोई तिथि एक साथ नहीं पढ़ रही है।
इस बार महाअष्टमी की तिथि 9 अप्रैल (Durga Ashtami 2022) की है इस दिन महा गौरी की विधि-विधान से आराधना की जाती है, यह दिन बहुत ही शुभ होता है जो की हर घरों में मनाया ही जाता है।
भले ही किसी के घर में नौ दिन माता की विधि से पूजा अर्चना न हो यदि वह महा अष्टमी के दिन ही मां की पूजा विधि-विधान के साथ करे तो माता भगवती उन्हें अपना आशीवार्द जरुर देती है, उसके सभी पाप ख़त्म करके उसके मनोरथ को पूरा करती है।
इस दिन पर कुछ लोग कन्या भोजन (अन्न कूट) भी रखते है उसके बाद ही अपने व्रत को तोड़ते है। वहीँ कुछ लोग नवमी के दिन कन्या भोजन करवाने के बाद ही अपने व्रत का पारण करते है। मान्यता है इसी दिन माँ दुर्गा अपनी सभी शक्तियों के साथ प्रकट होती ।है माता का यह रूप मन को मोह लेना वाला होता है। इस दिन माता की सही पूजा-विधान के साथ आराधना करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है। चलिए जानते है
पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि (Durga Ashtami 2022)-
अभिजित मुहूर्त –
9 अप्रैल – दोपहर में 12:03 से 12:53 तक
ब्रह्म मुहूर्त –
9अप्रैल – सुबह 04:39 से लेकर 05:39 तक
महागौरी का रूप
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।
इस दिन माता का रूप बेहद ही सौम्य रहता है माता अपने वाहन वृषभ के साथ विराजमान रहती है। माता अपने चार भुजाओं के साथ त्रिशूल, डमरू, अक्षय मुद्रा और वर मुद्रा धारण किये हुए बहुत ही मनमोहक लगती है। माँ भगवती का इस दिन वाला स्वरूप प्रकाशमय और ज्योतिर्मय होता है। इस रूप की पूजा करने से व्यक्ति के सभी विपत्तियों का नाश होता है।
महागौरी कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ पार्वती ने पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था। अपने पति के रूप में भगवान शंकर को पाने के लिए पार्वती माता ने कठोर तप किया था। तपस्या के दौरान माँ हजारों वर्षो तक बिना आहार के रही उन्होंने इतने वर्षों तक न तो कुछ खाया न ही कुछ पीया जिसके कारण उनका शरीर काला हो चूका था। माता के इतने कठोर तप को देख भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने माता को अपने अर्धागनी के रूप में स्वीकार किया व गंगा जल के द्वारा माता के शरीर को पुनः सुन्दर और कांतिमय बना दिया जिसके बाद से माता पार्वती को महागौरी का नाम भी दिया गया। असल में माता पार्वती ही सभी नौ माताओं का मूल स्वरुप है।
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पूजा विधि
- सुबह सूर्योदय से पहले जागे, स्नान करके साफ वस्त्र धारण करे।
- एक लकड़ी की चौकी को अच्छे से साफ करके गंगा जल छिडके, उसपर लाल कपडा बिछा दे।
- उसके बाद माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करे।
- माता पर पंचामृत की छिडकाव करे।
- उसके बाद गणेश पूजन करे। कलश स्थापित करके उसका भी पूजन करे।
- अब माता की पूजा आरम्भ करे, सबसे पहले पान-सुपारी रखे।
- उसके बाद कुमकुम, अक्षत अर्पण करे, माता को सिंदूर और गुड़हल का फूल बेहद प्रिय है, इसका अर्पण करे।
- माता का श्रृंगार करे यदि चित्र की पूजा कर रहे है तो माता को श्रृंगार का सामान चढ़ाये।
- इतना करने के बाद मीठा भोग लगाये।
- धुप-दीप, अगरबत्ती जलाएं दुर्गा सप्तसती पाठ करे। अंत में कपूर से आरती करे।
नवरात्री में कुछ कामों को निषेध माना जाता है जैसे यदि कोई मांस खाता है तो उसे मांस का सेवन नहीं करना चाहिए, न ही कोई दुराचार करना चाहिए, स्त्री का अपमान नहीं करना चाहिए, बड़ो का अनादर नहीं करना चाहिए, झूठ नहीं बोलना चाहिए। वहीँ कुछ कामों को नवरात्रि में (चाहे वह चैत्र हो या शारदीय हो) जरुर करना चाहिए।
इन कामों को अवश्य करे –
जैसे -:
हवन – नवरात्रि में हवन करना बहुत शुभ होता है। इससे वातावरण में शुद्धता फैलती है इसलिए अष्टमी पर विशेष तौर पर माता को हवन करके आहुति जरुर देनी चाहिए।
कन्या भोजन – व्रत के उद्ध्यापन करने पर कन्या भोजन जरुर करे। अष्टमी पर 9 कन्याओं को माता स्वरूप मानकर उन्हें श्रद्धा से भोजन कराये और उन्हें लाल कलर की कोई चीज भेंट करे साथ ही उन्हें कुछ दक्षिणा जरुर दे।
संधि आरती – इस दिन माता की सुबह-दोपहर-शाम की आरती के अतिरिक्त संधि आरती (दो तिथियों के बीच के शुभ समय को संधि कहते है) जरुर करे।
लाल ओढ़नी – इस दिन माता को लाल कलर की ओढनी चढ़ाई जाती है। माता को लाल रंग अतिरिक्त प्रिय है पूजा के समय पांच फलों के साथ ओढ़नी का अर्पण करे।
लाल झंडा – अष्टमी पर माता के मंदिर में जाकर लाल झंडा लगाये। आप चाहे तो आप केसरी ध्वज, पताका, झन्डा भी चढ़ा सकते है।
भोग अर्पण – इस दिन माता को मीठे का भोग जरुर लगाये। कोशिश करे वह मिठाई घर पर ही शुद्धता से बनाई गई हो। आप मीठे में मालपुए, खीर, हलवा, गुड़ के मीठे भजिये, सफ़ेद बताशे को भोग लगा सकते है।
श्रृंगार करे दान – इस शुभ दिन पर किसी विवाहिता स्त्री को सिंदूर, लाल चूड़ी, चांदी का सिक्का, बिछिया, पायल व अन्य 16 श्रृंगार की चीजों का दान अवश्य करे।
आपने जाना –
Durga Ashtami 2022 के इस विशेष आर्टिकल में आपने जाना की कैसे इस चैत्र नवरात्री की अष्टमी पर पूजा की जाए साथ ही आपको शुभ मुहूर्त भी बताये गए। इसके अतिरिक्त हमने इस आर्टिकल में में आपको कुछ ऐसे काम भी बताये जो की अनिवार्य रूप से नवरात्री में किये जाने चाहिए ताकि आपको पूजा का उचित फल प्राप्त हो सके। उम्मीद करते है आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे।