Radha Krishna Bhajan | राधा कृष्ण के मनमोहक भजन

आज हम आपको कुछ ऐसे आसान से Radha Krishna Bhajan बताने बाले है जो आप फिल्मी गाने की तर्ज़ पर गा सकते है |

1. धुन – सावन का महीना पवन करे शोर

कुंजन डरयो हिंडोरना, राधा रानी सरकार ।
तोरी बाट निहारते, प्यारे कृष्ण मुरार ।।

फूल रही फुलवारी, चम्पा चमेली प्यारी ।
जूही चमेली महके, शोभा है जग से न्यारी ।
वंशी धुन में टेरे, तोहे प्यारी भानु दुलार ।।

बरसे बदरिया कारी, छाय रही हरियाली ।
रिमझिम पड़े फुहारे, कूके कोयलिया कारी ।
डगर बुहारे पीताम्बर सौं, प्रीतम नन्द कुमार ।।

विनय सूनी नटवर की, खिल गयी मन की क्यारी ।
कर सिंगार है अपना, आई भानु दुलारी ।
छम छम पैंजनी बाजे, पायल की झंकार ।।

झूले दोऊ झूला, राधा और वनबारी ।
झोटा देवे सखियाँ, गावे राग मल्हारी ।
शोभा निकी लागे, दास जाय बलिहारी ।।  

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2. धुन – पुरवा सुहानी आई रे  – पूरवा….. Radha Krishna Bhajan

श्यामा झूलन आई जी….. श्यामा ।
संग सखियाँ आई, मन खुशियाँ छाई ।।

ऋतु सावन की ये आई जी…..श्यामा …   श्यामा श्याम झूला, झूले संग संग में ।
दोंनो हुए हर्षित, मुदित मन – मन में ।
गल बैयाँ दीन्ही डारी, छबि पे जाऊं बारी बारी ।।

ऋतु सावन की ये आई जी…..श्यामा…   सखिया देवे जोटा, मुकुट झोला खाए ।
पीताम्बर  के संग – संग, चुनर लिपटाए ।
भोरी सी सुरतिया है, वारी सी उमरिया है ।।

ऋतु सावन की ये आई जी…..श्यामा…   रिमझिम रिमझिम बरसे है, बादरिया कारी ।
कोयल मीठी कूके है, अमुआ की डारी ।
सखिया गीत सुनाये है, ग्वाले ढोल बजाये है ।।
दास, चरणन पे बलि जाई जी…..श्यामा  

3. धुन – रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर

कुंजन वन में झूला परयो है, टेरत नंद किशोर ।
टेरत नंद किशोर राधिका, टेरत नंद किशोर ।।

रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर…..  
डगर बुहारत पीताम्बर सौं, प्रीतम नंद किशोर ।
डगर बुहारत थक रही अँखियाँ, जियरा उठत हिलोर ।।

रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर…..  
तुम बिन कुंज न नीको लागे, मोर करे न शोर ।
हे वृषभानु सुते श्री राधे, आ जाओ इस ठौर ।।

रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर…..  
बैठी निज महलां में राधे, टेर सूनी निज पौर ।
सब सखियन संग दौड़ी आई, बंधी प्रेम की डोर ।।

रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर…..  
दे गल बैयाँ झूले दोउ, राधा नंद किशोर ।
कुंजन कोयल कूकन लागी, नाचन लागे मोर ।।

रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर…..  
सब भगतन पर कृपा करो दोऊ, रसिकन के चितचोर ।
चरणन प्रीत बढे दिन दूनी, दास विनय कर जोर ।।
रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर…..    

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4. धुन – मेरी सुनलो अरज नथवारी – Radha Krishna Bhajan

झूला झूलन पधारो सुकुमारी ।
श्री कीरति की कुमारी जी….. ।।  

बाट निहारे तोरी सावरो ।
कुंजन बीच मँझारी…श्री कीरति ।।  

लता बेलि तरुबर से लिपटी ।
फूल रही फुलवारी … श्री कीरति ।।

यमुना लेत हिलोर दोऊ ढिग ।
रिमझिम पडत फुहारी…श्री कीरति ।।  

कर सिंगार श्यामा जू आई ।
हर्षित भये गिरधारी…श्री कीरति ।।

युगल छबि कुंजन में झूलत ।
दास चरण बलिहारी…श्री कीरति ।।  

5. धुन – मेरी छम – छम बाजे पायलिया …..

राधा संग झूले सावरियां ।
श्यामा संग झूले सावरियां ।
छबि देख भयो मन बावरिया ।।  

महके मधुवन में सरस, चमेली ।
चम्पा केतकी खश, मोगरे की कली ।
झूला ऐसा सजा, मन को भाने लगा ।
युगल जोड़ी पे, मन भायो बावरिया ।।  

दे रही झोटा सखियाँ, सहेली सभी ।
पुष्प बरसा रहे, देवता भी सभी ।
रिमझिम मेहा बरसे, नभ में बादल गरजे ।
बाजे मोहन की प्यारी बासुरियाँ ।।  

महीना सावन में उनके सिंगार हुये ।
नैना झूलन निरखि मतवारे हुए ।
झूले कुंजन में वो, मेरे तन मन में वो ।
भाई मन को मेरे सखी सूरतिया ।।  

मेरे जीवन के प्यारे सहारे है वो ।

मेरी नैया के खेबन हारे है वो ।

बृज का बास दो, अब इस दास को ।

जाऊ चरणन पर, न्योछाबरिया ।।  

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