दोस्तों, हम सबके आराध्य भगवान श्री राम न केवल सनातन धर्म के बल्कि हमारी भारतीय संस्कृति के मूल पहचान है। मान्यता है की राम जी का जन्म चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमीं तिथि में बेहद ही शुभ नक्षत्रों में हुआ था जिस समय राम जी का जन्म हुआ था उस समय मध्यान मतलब दोपहर थी। इस वजह से राम नवमी की पूजा दोपहर के समय की जाती है। (Amazing Fact about Shri Ram)
चैत्र नवरात्री की नवमी तिथि को राम नवमीं मनाई जाती है। किसी भी हिन्दू के लिए राम नवमी का दिन बेहद खास होता है क्योकिं इसी दिन हमारे मर्यादा पुरुषौत्तम श्री राम ने रावण जैसे बुराइयों का अंत करने और कुछ भक्तों का उद्धार करने के लिए अवतार लिया था। यह दिन माता भगवती की आराधना का नौवा दिन भी होता है। इस दिन जो भी नवरात्री में अपनी साधना कर रहे होते है उसका उद्यापन भी करते है साथ जिन घरो में ज्वारे बोये जाते है, वे इस दिन उनका विसर्जन भी करते है। इसी तरह नवरात्री में नौ दिन तक माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है वहीँ आखरी दिन राम नवमीं मनाई जाती है। (Amazing Fact about Shri Ram)
आज के इस आर्टिकल में हम आपको भगवान राम के जीवन से जुड़े कुछ विशेष तथ्यों के बारे में जानने वाले है। हम में से अधिकतर लोगो को भगवान राम और रामायण से जुडी कथाएं पता है परन्तु कुछ ऐसी तथ्य भी है जिनके बारे में हमें ज्ञात नहीं है चलिए जाने श्री राम और रामायण से जुड़े तथ्य के बारे में –
Amazing Fact about Shri Ram –
- भगवान विष्णु ने समय-समय पर अपने भक्तों की सहायता के लिए व उनके उद्धार के लिए धरती पर जन्म लिया है। पुराणों में भगवान विष्णु के 24 अवतारों का वर्णन मिलता है जिसमे से 10 मुख्य अवतार में 7 वां अवतार भगवान राम का है व इससे पहले मतस्य, कुर्म, वराह, नरसिंह, वामन व परशुराम है तथा राम जी के बाद कृष्ण, बुद्ध व कल्कि है।
- प्रभु श्री राम को को “राम” नाम रघुकुल राजवंश के गुरुदेव महर्षि वशिष्ट द्वारा दिया गया था। यंहा राम नाम का अर्थ रोम रोम में भ्रमण करने वाला है और यह बिल्कुल सत्य है की भगवान श्री राम हमारे आराध्य तो है ही साथ ही वह हमारे रोम-रोम में भी बसते है।
- भगवान श्री राम और रावण का युद्ध 32 दिनों तक चला था। वहीँ उनकी सेना के बीच यह युद्ध 87 दिनों तक जारी रहा था।
- जब भगवान श्री राम वनवास के लिए गए थे उस समय उनकी आयु मात्र 27 वर्ष की थी।
- आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा की वाल्मीकि रामायण के हर 1000 श्लोक के बाद आने वाले पहले शब्द को यदि जोड़ते जाये तो पूरा गायत्री मंत्र बन जाएगा। गायत्री मन्त्र में 24 अक्षर होते है वहीँ वाल्मीकि रामायण में 24,000 श्लोक है।
- भगवान श्री राम की एक बहन भी थी जिनका नाम शांता था। उनकी माता भी कौशल्या ही थी ऐसी मान्यता है की एक बार अंग देश के राजा रोमपद और उनकी रानी अयोध्या आये थे, वे संतानहीन थे। जब राजा दशरथ को यह बात पता चली तो राजा दशरथ ने उनसे कहा की में अपनी पुत्री शांता आपको संतान के रूप में देता हूँ। रोमपद और उनकी रानी ने भी उस पुत्री का स्वीकार किया था तो इस तरह से श्री राम की एक बहन भी थी।
श्री राम जी से सम्बंधित अन्य तथ्य –
- आपको बताया गया की भगवान राम विष्णु के अवतार है परन्तु क्या आपको पता है लक्ष्मण किसके अवतार है तो आपको बता दे की लक्ष्मण शेषनाग (जो की क्षीर सागर में भगवान विष्णु के साथ विद्यमान है) के अवतार थे।
- लंका पर प्रस्थान करने के लिए जो रामसेतु तैयार किया गया है, उसे बनने में केवल 5 दिवस का समय ही लगा था।
- ऐसी कहा जाता है की जब सीता मैया छोटी थी तो वे शिव धनुष को खेलते-खलेते ही उठा लिया करती थी, जो की बहुत मुश्किल था। जिसे ध्यान में रखकर ही राजा जनक ने सीता स्वयंवर में शिव धनुष को तोड़ने की मांग की थी।
- रावण को राजा अरण्य द्वारा श्राप दिया गया था की उनके वंश में जन्मा कोई पुरुष उसका वध करेगा। श्री राम राजा अरण्य के ही वंशज है।
- वैसे रावण बहुत ज्ञानी था। जब रावण अपनी अंतिम सांसे ले रहा था, तब श्री राम ने लक्ष्मण को रावण से कुछ ज्ञान की बाते सिखने के लिए उसके पास भेजा था व कहा था की रावण जैसा न कोई था, न है और न होगा।
- परशुराम जी नहीं जानते थे की श्री राम भगवान विष्णु के अवतार है। इस बात की पुष्टि के लिए परशुराम जी ने उन्हें विष्णु के धनुष पर प्रत्यंचा चढाने के लिए कहा। जो की श्री राम ने आसानी से कर दिया और परशुराम जी यह जान गए की श्री राम कोई सामान्य पुरुष नहीं है।
अन्य तथ्य –
- सीता के स्वयंवर के समय राम जी ने जिस शिव धनुष को थोड़ा था उसका नाम पिनाक था।
- श्री राम, सीता मैया व लक्ष्मण जी ने जिस वन में अपना वनवास काटा था उसका नाम दंडकरण्य था।
- चुकीं रावण बहुत मायावी था उससे युद्ध करना आसान नहीं था इसलिए इन्द्रदेव ने एक विशेष दिव्य विमान श्री राम के लिए भेजा था। उसी रथ में युद्ध लड़कर श्री राम ने रावण जैसे बुराई का नाश किया था।
- माता सीता की अग्नि परीक्षा नहीं ली गई थी बल्कि श्री राम ने माता जानकी को अग्निदेव से वापस प्राप्त करने के लिए यह लीला की थी। पुराणों के अनुसार माता सीता के हरण के पूर्व ही भगवान राम ने सीता मैया को अग्निदेव को शौप दिया था ताकि वे सुरक्षित रहे व उनसे माता सीता की छाया रूपी छवि को प्राप्त करने लिए आग्रह किया था।
- जब प्रभु श्री राम के पृथ्वी पर अवतार का उद्देश्य पूरा हो गया तो उन्हें के मनुष्य के तरह ही प्राण त्यागना था लेकिन हनुमान जी के होते हुए यमराज श्री राम तक नहीं पहुँच रखते थे। इसलिए श्री राम ने एक तरकीब का सहारा लिया और एक अंगूठी को फर्श की दरार में गिरा दिया और हनुमान को उसे ढूंढने के लिए कहा जिसे ढूंढते हुए हनुमान पाताललोक तक पहुँच गए। तब उन्हें इस तरकीब का पता चला और यमराज श्री राम के प्राण हरण करने आये थे।
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आपने जाना –
Amazing Fact about Shri Ram में आपने जाना राम जी व रामायण से जुड़े ऐसे सवालों के जवाव व तथ्यों के बारे में जो की अक्सर हमारे मन में कोतुहल का विषय होते है। उम्मीद करते है आपको आज का प्रभु श्री राम जी से जुड़ा यह आर्टिकल पसंद आया होगा तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।