महिलाओं द्वारा विशेष तौर पर रखा जाने वाला व्रत (दशा माता व्रत) इस वर्ष (Dasha Mata 2022) 27 मार्च रविवार को पढ़ रहा है यह व्रत महिलाओं द्वारा अपने घर के दशा को सुधारने हेतु रखा जाता है जिससे घर की सभी नकारात्मकता का नाश हो और घर में खुशहाली आये गृह कलेश खत्म हो और दरिद्रता का वास घर में न हो।
हमारी ब्लॉग के सभी नारी वर्ग को (जो इस व्रत को धारण करती है और करने वाली है) उन्हें इस व्रत की महिमा के साथ उन्हें इस व्रत को करने के कुछ ऐसे नियम भी बताएँगे जो की अक्सर उन महिलाओं को भी ज्ञात नहीं होते है जो वर्षों से इन व्रत को धारण कर रही है साथ ही उन नव विवाहिताओं को भी (अपने घर के सुख, समृद्धि के लिए रखे जाने वाले) इस व्रत को करने की सही विधि, सामग्री, कथा आदि के बारे में बताएँगे जिससे उन्हें इस व्रत को करने से होने वाला लाभ पूर्ण रूप से मिले।
चलिए जाने
तो हमारी महिला मित्रों दशा माता का व्रत चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। इस व्रत के पीछे मान्यता है की इस व्रत को करने से व्यक्ति के बुरे समय का नाश होता है और अच्छे समय का आगमन होता है। सभी को ज्ञात है की यदि किसी की दशा अच्छी हो तो उसके जीवन में सभी दिवस बड़ी ख़ुशी के साथ बीतते है लेकिन वहीँ यदि किसी की दशा खराब होती है तो उसके हर काम में लाख अड़चन आने लगती है हर काम बनते बनते बिगड़ने लगने लगते है इसलिए चैत्र माह की दशमी को यह व्रत किया जाता है जिससे व्यक्ति के जीवन में चल रहा बुरा समय ठीक होने लगे।
इस दिन सुहागिन महिलाएं पीपल के पेड़ की पूजा करती है और व्रत को धारण करके अपने घर की दशा को सुधारने की माता से प्रार्थना करती है व इस दिवस कच्चे सूत के डोरे को दस तार लेकर उसमे दस गांठे बनाकर इसकी पूजा करके पूजा स्थल पर नल और दमयंती की कथा सुनी जाने का विधान है। इसके बाद उस दस गांठ के डोरे को गले में पहनती है पूजा के बाद महिलाएं अपने घरो पर अपने हाथ से हल्दी और कुमकुम के छापे लगाती है। इस व्रत को जीवनभर किया जाता है इसका व्रत का कभी उद्यापन नहीं होता है।
पूजा सामग्री (Dasha Mata 2022)
सबसे जरुरी है दशा माता की एक तस्वीर या फिर आप पीपल के पेड़ की पूजा भी कर सकते है इसके अलावा लकड़ी की चोकी, लाल वस्त्र, रोली, मोली, सुपारी, चावल, धुप दीपक, फुल माला, फल, हल्दी मेहंदी, काजल सिंदूर, मेवा, बताशे, गुड़, नेवेध्य में आप मीठी रोटी , लापसी, हलवा पूरी आदि का भोग लगा सकती है।
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पूजा विधि –
- इस दिन प्रातः काल जल्दी उठे और घर की सफाई करके कचरे को फेंक दे।
- इसके बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहने और पूरा सोलह श्रृंगार करे।
- व्रत का संकल्प लेकर सारी पूजन सामग्री लेकर दशा माता की पूजा करे।
- सबसे पहले घर के ईशान कोण में गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर ले।
- उसके बाद लकड़ी की चौकी रखकर उस पर माता की मूर्ति/तस्वीर रखें।
- यदि तस्वीर न हो तो पूजा के पान के पत्ते पर हल्दी और कुमकुम से माता का चित्र बना ले।
- यह पूजा पीपल के पेड़ के पास या घर पर भी की जा सकती है।
- यदि घर पर पूजा कर रहे है तो पांच पत्ते पीपल के लेकर उसकी पूजा भी कर सकते है।
- अब दिवार के ऊपर एक स्वास्तिक बनायें इसके बाद स्वास्तिक के पास रोली, मेहंदी और काजल की दस बिंदियाँ लगाये।
- इसके बाद गेहूं की दस ढेरी पाटे पर बनाये।
- सर्वप्रथम जल का छींटा दे उसके बाद रोली, अक्षत (चावल) लगाये वस्त्र के रूप में मोली अर्पित करे।
- फुल माला एवं फल आदि चढ़ाये धुप दीपक जलाये।
- इसके बाद नेवेध्य में मीठे का भोग लगाए।
- दस गांठ के डोरे की पूजा करे उसमे भी रोली अक्षत (चावल) लगाकर चढ़ाये धुप दीप दिखाए।
- ध्यान रहे की पिछले साल का डोरा भी पूजा में रखे।
- इसके बाद दशा माता की दस कथाएं सुने कथा सुनते समय गेहूं के दस दाने अपने हाथ में जरुर रखे।
- कथा पूर्ण होने के बाद इन गेहूं के दानों को दशा माता के सामने छोड़ दे।
- इसके बाद दशा माता की आरती गाये।
- पूजा आरती के बाद नए डोरे को गले में धारण करे।
अन्य विधि –
- इसके बाद महिलाएं गेहूं, भोग, कच्चा सूत और पुराना डोरा लेकर पीपल के पेड़ के पास जाये।
- पीपल के पेड़ की पूजा करके कच्चे सूत को पीपल से लपेटते हुए दस परिक्रमा लगाये।
- पूजा के बाद पुराने डोरे को वहीँ मिट्टी में दबा दे या पीपल से बांध दे।
- इसके बाद भोग के रूप में दस पुड़ी, दस चम्मच हलवा और दस सिक्के किसी बुजुर्ग महिला या फिर ब्राह्मणी को दे।
- उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद ले इसके दशा माता की कृपा सदैव आपके घर पर बनी रहती है।
डोरा रखने के नियम (Dasha Mata 2022)
कच्चा सूत या सफ़ेद धागा ले उसे दस तार करले उसमे दस गांठे लगा ले इसे हल्दी से रंग ले। इसे दशा माता का डोरा कहा जाता है, इसे साल भर तक पहना जाता है। महिलाएं नए डोरे की पूजा करके उसे गले में धारण करती है। इसे पुरे साल नहीं उतारते है और अगले साल फिर से पूजा वाले दिन पुराना उतारकर नए धागे की पूजा करके उसे धारण किया जाता है और जो पिछले साल का डोरा होता है उसे पीपल के पेड़ के यहाँ गड्डा करके गाड दे या पीपल वृक्ष से ही बांध देते है। यदि आप इस धागे को पुरे साल नहीं पहन सकती है इसे एक दिन पहन कर इसे उतारकर की डिब्बी में बंद करके पूजा घर या फिर तिजोरी में रख दे।
क्या खाया जा सकता है
इस व्रत में एक ही तरह का अन्य एक ही समय ही सेवन किया जाता है। भोजन में इस दिन नमक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस दिन विशेष तौर पर गेहूं का उपयोग किया जाता है।
इस दिन क्या करे और क्या न करे (Dasha Mata 2022)
- महिलाएं याद रखे की घर का पैसा फिजूल खर्च न हो।
- आवश्यकता की सभी वस्तुएं एक दिन पहले ही खरीद के रख ले।
- दशा माता के दिन किसी को पैसा उधार न दे साथ ही घर की कोई वस्तु भी किसी को न दे।
- न ही इन दिन किसी से कोई वस्तु या पैसा मांगना चाहिए।
- इस दिन घर की सफाई करके टूटी फूटी चीजे, कचरा फेंक देना चाहिए।
- न ही दिन मांस मदिरा का सेवन किया जाना चाहिए।
- इस दिन घर पर किसी तरह का लड़ाई झगड़ा या कलेश न करे।
आपने जाना –
Dasha Mata 2022 में आपको बताया गया की कैसे आप दशा माता के इस पावन व्रत को धारण करके अपने खुशहाल परिवार के लिए कामना करती है। आज के इस विशेष आर्टिकल में आपको बताया गया की कैसे आप सही पूजा विधान से माता को प्रसन्न करे व कैसे इस व्रत को धारण करके इसे सफल बनाये। उम्मीद है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा तो प्लीज इसे अपनी महिला मित्रों के साथ जरुर शेयर करे।