Female Entrepreneurs Success Stories | कमानी ट्यूब्स कंपनी Chair Person कल्पना सरोज

कमानी ट्यूब्स कंपनी की Chair Person कल्पना सरोज की जीवन की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा है जो की यह सोच लेती है की उनसे कोई काम नहीं हो पाएगा और हालात उनके साथ नहीं है। कल्पना को बचपन से ही कई मुश्किल परिस्थियों का सामना करना पड़ा है तब ही जाकर आज वे इस मुकाम पर है। (Female Entrepreneurs Success Stories)  

Life Story –

कल्पना का जन्म महाराष्ट्र के एक बेहद ही छोटे से गाँव रोपरखेड़ा में 1961 में हुआ।  पिता जी कांस्टेबल थे। उस समय उनके पिता की इतनी भी आमदनी नहीं थी की आराम से जीवन यापन कर सके। घर का खर्च भी बड़ी मुश्किलों से चल पाता था।  उन्हें जीवन की हर परिस्तिथियों में दुःख और तकलीफ ही मिली। 12 साल की उम्र में उनका बाल विवाह करा दिया गया था। उनका जिससे विवाह हुआ वह उनसे 10 वर्ष अधिक आयु का व्यक्ति था। 

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विवाह के बाद उनका जीवन और ज्यादा मुश्किलों से घिर गया। ससुराल वाले उन पर अत्याचार करने लगे पति के तरफ से भी उन्हें कोई साथ नहीं मिला। जब उनके पिता उनसे मिलने गए तो कल्पना को देखकर उन्हें समझ आ गया। यह सब देख वह कल्पना को गाँव से लेकर चले गए जिसके कारण उन्हें कई लोगों के ताने सुनने पड़े। जीवन में एक दिन तो ऐसा भी आया जब उन्होंने हार मान कर जहर तक पी लिया था। इतनी विकट हालात के बाद भी उन्होंने खुद को सँभालने का निर्णय लिया और मजबूत इरादों के साथ ऊपर उठने का तय किया। (Female Entrepreneurs Success Stories)

Career Beginning –   

इसके बाद उन्होंने नौकरी की तलाश की 16 साल की उम्र में वह जैसे-तैसे अपनी माँ को मनाकर मुंबई आ गई और एक गारमेंट फैक्ट्री में काम शुरू किया।  तब उन्हें मात्र 2 रूपए दिन के मिलते थे।  कल्पना ने अपने इरादे और मजबूत किये छोटे से घर में सिलाई मशीन लगाकर 16-16 घंटे काम करने लगी।  22 साल की उम्र में 50000 का लोन लेकर फर्नीचर का काम भी शुरू किया जिसमे उन्हें अच्छा फायदा हो रहा था।  इसी बीच कल्पना ने दूसरी शादी की पर इसबार भी उन्हें जीवनसाथी का साथ ज्यादा समय के लिए नहीं मिल पाया बीमारी के कारण उनके पति मृत्यु हो गई। दोनों के दो बच्चे है। 

फिर उनकी लाइफ में एक और मुश्किल हालात ने दस्तक दी। उस समय कमानी ट्यूब्स लिमिटेड कंपनी के हालत बहुत बुरी चल रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने 17 साल से बंद पड़ी कमानी ट्यूब्स को उसके वर्कर्स से शुरू करने का कहा था इसलिए कंपनी के वर्कर कल्पना से मिले और कंपनी को फिर स्टार्ट करने के लिए मदद की मांग की। कल्पना ने कंपनी को खरीदने का तय किया और 2006 में कंपनी खरीदकर एक नए सिरे से और हर पहलु पर ध्यान देते हुए एक नई शुरुआत की और आज कल्पना अपनी मेहनत और योजना के बल पर इतनी तरक्की हासिल कर चुकी है और उनकी कंपनी 1000 करोड़ रूपए से अधिक की है साथ ही उन्हें कई अवार्ड भी मिल चुके है। 

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