Nirjala Ekadashi 2022 | निर्जला ग्यारस या एकादशी व्रत कथा, महत्त्व

इस वर्ष निर्जला एकादशी 10 जून 2022 (Nirjala Ekadashi date) को मनाई जाएगी। इस दिन को भीमा एकादशी (Bhima Ekadashi) व भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi 2022) भी कहते है। इस दिन व्रत धारण करने का बहुत महत्त्व है साथ ही इस दिन कथा का श्रवण किया जाता है। चुकीं यह कथा भीमसेन को सुनाई गई थी इस कारण इसे भीमसेनी एकादशी व्रत कथा (Bhimseni Ekadashi Vrat Katha) भी कहते है। चलिए इस दिन की कथा को पढ़ते है..

Nirjala Ekadashi Katha (निर्जला एकादशी कथा) -:

भीमसेन एक बार व्यासजी से कहने लगे की हे पितामह.. पाचों पांडू पुत्र, माता कुंती, और द्रौपदी हमेशा एकादशी व्रत को करने की बात कहते है लेकिन महाराज में पूजा-पाठ दान-धर्म सब कुछ ख़ुशी-ख़ुशी कर सकता हूँ परन्तु भोजन के बिना तो में एक दिन भी नहीं जी सकता है मुझसे भूख कदापि सहन नहीं होती।

इस पर व्यासजी कहते है की हे भीमसेन.. यदि तुम स्वर्ग और नरक को मानते हो तो हर महीने की दोनों एकादशियों को अन्न मत खाया करो। भीम कहने लगे.. हे पितामह.. मैं आपसे कह चूका हूँ की मैं भूख सहन नहीं कर सकता। पूरा दिन उपवास तो क्या में एक भी समय के भोजन के बिना नहीं रह सकता। मेरे लिए ये दुनिया का सबसे कठिन कार्य है।

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इसलिए आप मुझ नादान पर कृपा करे और मुझे कोई ऐसे व्रत का सुझाव दीजिये जो की मुझे केवल एक बार ही करना पढ़े और मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो जाये। व्यास जी कहने लगे हे पुत्र.. शास्त्रों में एकादशी के दोनों व्रत मुक्ति के उद्देश्य से ही रखे गए है जो इसका पालन नहीं करता उसे नरक को भोगना पड़ता है।

व्यासजी के बातें सुनकर भीमसेन नरक का नाम सुनकर डर गया और कांपते हुए पूछने लगा की अब में क्या करूँ महीने के दो व्रत में नहीं कर सकता हाँ परन्तु में वर्ष में एक व्रत रखने की कोशिश जरुर कर सकता हूँ इसलिए यदि कोई ऐसा व्रत हो जो की केवल वर्ष में एक बार ही करना हो और मुझे मुक्ति मिल जाये तो कृपया कर बताइए।

Bhimseni Ekadashi Katha Mahatav (भीमसेनी एकादशी कथा महत्त्व) -:

यह सुन व्यासजी कहते है की ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जिसे निर्जला एकादशी भी कहा जाता है तुम उस एकादशी का व्रत (Nirjala Ekadashi Vrat) करो। इस व्रत में स्नान व आचमन को छोड़कर जल का उपयोग करना मना है। इस दिन भोजन ग्रहण नहीं किया जाना चाहिए क्योकिं भोजन करने से व्रत का फल नष्ट हो जाता है।

यदि कोई व्यक्ति इस एकादशी को सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल का सेवन नहीं करता तो उसे सभी एकादशियों का फल एक ही एकादशी में प्राप्त हो जाता है। इस दिन व्रत धारण करके द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को दान करना चाहिए। (Nirjala Ekadashi Vrat Vidhi) उन्हें भोजन करवाने के बाद व्यक्ति स्वयं भोजन ग्रहण कर सकता है। इसका फल सभी एकादशियों के फलों के समान होता है।

व्यासजी कहते है ये स्वयं भगवान की वाणी है। इस व्रत का महत्त्व (Importance of Nirjala Ekadashi) सभी तीर्थों व दान-धर्म से कई ज्यादा है। मात्र एक दिन यदि कोई निष्ठा से इस व्रत को पूरी तरह निर्जल रहकर करे तो उसे पापों से मुक्ति मिल जाती है।
जो मनुष्य इस ग्यारस का व्रत धरते है उन्हें यमदूतों से भय नहीं रहता व मृत्यु के समय भी भगवान के पार्षद उसे पुष्पक विमान से लेने के लिए आते है और उसे स्वर्ग लेकर जाते है। इस तरह यह व्रत (Nirjala Ekadashi 2022) सबसे श्रेष्ट व्रतों में से एक है। इस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना और गाय का दान करना शुभ होता है।

इस तरह व्यास जी की आज्ञा के अनुसार भीमसेन ने इस व्रत का धारण किया इसलिए इस एकादशी को निर्जला एकादशी, पांडव एकादशी व भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) कहा जाता है।

आपने जाना –

Nirjala Ekadashi 2022 में हमने आपको बताया की इस वर्ष निर्जला एकादशी कब व किस दिन पर आ रही है साथ ही हमने कथा को भी जाना की इस व्रत का क्यों इतना ज्यादा महत्व है जो की मनुष्यों को स्वर्ग ले जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस कथा (Nirjala Ekadashi ki Katha) का श्रवण व पठन दोनों ही जीव का उद्धार कर देते है व उसे संसार के सभी मोह-माया से मुक्ति मिलती है।