इस व्रत का धारण व इसकी पूजा (Vat Savitri Puja 2022) शादीशुदा औरतें अपने पति की लम्बी आयु व उनकी समृद्धि के लिए करती हैl इसी व्रत के संकल्प से यमराज को सावित्री के पति सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े थे…
हैल्लों लेडिज आज हम आपके लिए लाये है वट सावित्री व्रत के बारे में पूरी जानकारी। इतना तो सभी को पता ही होगा की वट सावित्री व्रत का धारण केवल सुहागन महिलाओं द्वारा किया जाता है लेकिन वट सावित्री व्रत भी वर्ष में दो बार आता है एक वट सावित्री अमावस्या जो की ज्येष्ट की अमावस्या को पड़ती है व दूसरा व्रत ज्येष्ट की पूर्णिमा को किया जाता है जिसे वट सावित्री पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। दोनों ही व्रत का धारण शादीशुदा औरतें अपने पति की लम्बी आयु व उनकी समृद्धि के लिए रखती है। इसी व्रत के संकल्प से यमराज को सावित्री के पति सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े थे। Vat Savitri Puja 2022
अब बात करते है की इस वर्ष वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2022) का धारण कब किया जाना चाहिए तो –
- उत्तर प्रदेश में हर साल ज्येष्ट की अमावस्या को इस व्रत का धारण किया जाता है।
- वहीँ गुजरात, मध्यप्रदेश और दक्षिण भारत में इस व्रत को हर वर्ष ज्येष्ट की पूर्णिमा को किया जाता है।
- दोनों ही व्रत में वट वृक्ष की पूजा का विधान है।
- बरगद की पूजा करके महिलाएं भगवान विष्णु व देवी लक्ष्मी से अपने अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगती है।
वट सावित्री व्रत कब है (When is Vat Savitri Vrat)
हर वर्ष वट सावित्री व्रत (Savitri vrat) दो तिथियों को मनाया जाता है तो इस वर्ष वट सावित्री अमावस्या का व्रत 30 मई 2022 को व वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत 14 जून 2022 को पड़ रहा है।
Vat Savitri Amavasya 2022 (Date, Time and muhurat)
शुरू होने की तिथि व समय – 29 मई दोपहर के 2:54 मिनिट से।
समाप्त होने की तिथि व समय – 30 मई दोपहर के 4:59 मिनिट तक।
Vat Purnima 2022 (Date, Time and muhurat)
शुरू होने की तिथि व समय – 13 जून सुबह के 09:02 मिनिट से।
समाप्त होने की तिथि व समय – 14 जून सुबह के 05:21 मिनिट तक।
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वट सावित्री व्रत का महत्त्व (Significance of Vat Savitri Puja)
हिन्दू धर्म की कथाओं व शास्त्रों में इस व्रत का उल्लेख मिलता है इन कथाओं के अनुसार –
- बरगद के वृक्ष में साक्षात त्रिदेव का वास होता है।
- जो की भगवान विष्णु, ब्रह्मा और शिव शंकर का रूप है।
- ऐसा भी माना जाता है की बड़ के पेड़ के पूजन से सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है।
- जीवन में सुख और सम्पन्नता भी बढती है।
हमारे कई पुराणों और महाभारत जैसे कई शास्त्रों में इस व्रत का उल्लेख हुआ है। यह व्रत खास तौर पर हिन्दू धर्म की उन महिलाओं के द्वारा किया जाता है, जो की विवाहित है। अपने पति के जीवन के हर पहलु को फिर चाहे वो आयु हो या स्वास्थ्य हो या फिर समृद्धि हो सभी के लिए वट सावित्री का व्रत करने का लाभ बताया गया है। यह व्रत सावित्री नामक एक स्त्री द्वारा अपने पति के प्राण जो की यमराज ने हर लिए थे, उसकी वापसी के लिए किया गया था। सावित्री व सत्यवान की कथा इस दिन पर सुनने का विधान है। इस व्रत का पालन करना एक पत्नी का अपने पति के प्रति सच्चे प्रेम का चिन्ह कहा जाता है। कुछ लोग वट सावित्री पूजा को सावित्री पूजा (Savitri Puja) भी बोलते है।
वट सावित्री व्रत के दिन क्या करे (Vat Savitri Puja Rituals)
आप अपने अनुसार वट अमावस्या (Vat Amavasya) या वट पूर्णिमा (Vat Purnima) का व्रत धारण कर सकती है। दोनों ही शुभफलदायी होते है तो सर्वप्रथम इस दिन (Vat Savitri Puja 2022) सबसे पहले –
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करके नए वस्त्र पहने।
- साड़ी और अन्य गहनों को पहने।
- इस दिन उपवास धारण जरुर करे।
- कुछ विशेष प्रकार के शुध्द व्यंजन प्रसाद के लिए बनाये।
- इतना करने के बाद अपने घर के पास के मंदिर पर जाएँ जहाँ बरगद का पेड़ हो।
- यदि घर के पास बरगद का पेड़ न हो तो हल्दी या चन्दन के पेस्ट से एक बरगद के पेड़ का चित्र बना लें उसकी पूजा करे।
- इस दिन मंदिर के किसी बरगद के पेड़ की कम से कम 7 परिक्रमा करे।
- पानी, कुमकुम सूती धागा अर्पित करे।
- इसके बाद वट सावित्री की व्रत कथा पढ़े या सुने।
- भोग लगाये प्रसाद को घर में सभी को बांटे।
- घर के सभी बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद लें।
- इस दिन जरुरतमंदो को भोजन, वस्त्र और धन का दान करे।
- दुसरे दिन सामर्थ अनुसार ब्राह्मण को दान दक्षिणा करने के बाद व्रत की समाप्ति करे।
आपने जाना –
Vat Savitri Puja 2022 में आपने आज जाना की इस व्रत को करने के लिया विशेष महिमा है व इसके क्या शुभ मुहूर्त है। इसके अतिरिक्त आपको Vat savitri vrat katha भी हमने अगली पोस्ट में पब्लिश की है उसे भी जरुर पढ़े। उम्मीद करते है आज यह आर्टिकल आपको पसंद आया होता तो प्लीज इसे शेयर जरुर करे और हमें भी बताये की यह आपको कैसा लगा।